यह इन्द्रिय ग्राह्य और इन्द्रिय-अग्राह्य दोनों प्रकार का है।
2.
पूर्णिमा जी, आपने सूक्ष्म भाव को व्यक्त करने हेतु इन्द्रिय ग्राह्य शब्दों का बड़ा ही सटीक प्रयोग किया है, टूटते हुए मिथक और चटकती हुई आस्थाओं के बीच कथ्य-शिल्प और भाव तीनों ही दृष्टिकोण से श्रेष्ठ और सार्थक प्रस्तुति की है आपने ।
3.
कवि को कविधर्म निभाने की दिशा में अपने सूक्ष्म भाव को व्यक्त करने हेतु इन्द्रिय ग्राह्य शब्दों का बड़ा ही सटीक प्रयोग करना पडा है, क्योंकि उसके एक-एक शब्द पूरे प्रकरण में इस प्रकार फिट रहते हैं कि उनके संधान पर कोई अन्य पर्यायवाची शब्द रखने से पूरी की पूरी भाव श्रृंखला भरभरा जाती है.
4.
समकालीन कवि को समकालीन बने रहने के लिए अपने सूक्ष्म भाव को व्यक्त करने हेतु इन्द्रिय ग्राह्य शब्दों का बड़ा ही सटीक प्रयोग करना होता है, क्योंकि उसके एक-एक शब्द पूरे प्रकरण में इस प्रकार फिट रहते हैं कि उनके संधान पर कोई अन्य पर्यायवाची शब्द रखने से पूरी की पूरी भाव श्रृंखला भरभरा जाती है.